Monday, May 18, 2020

Hindi poem - Lautunga mai fir yahin / लौटूंगा मैं फिर यहीं



लौटूंगा मैं फिर यहीं 
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भूल न जाना हमें, दिल में तुम रखना कहीं 
लिपट के तिरंगे से, लौटूंगा मैं फिर यहीं...! 

देख कर गोली मेरे सिने की 
गम ना करना मेरे मरने की 
मातृभूमि की रक्षा कर्म है मेरा 
यही मक़सद है मेरे जीने की... 

हम चलते हैं, अभी तो हमें जाना है 
भारत माँ का कर्ज हमें चुकाना है 
दुश्मनों को जाकर ये बताना है 
उसको अभी, फौलाद से टकराना है... 

मेरी काया से गिर जाए कुछ खून यहीं 
लिपट के तिरंगे से, लौटूंगा मैं फिर यहीं..!!

जीवन मेरा बलिदान है 
जिसपर मुझे अभिमान है 
गर्व से कहना तुम 
यह इस देश की शान है... 

छू लेना हमको, जनाजे से तुम कहीं 
लिपट के तिरंगे से, लौटूंगा मैं फिर यहीं..!!! 







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!

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